April 20, 2024

बिरौल/दरभंगा- हमारी शिक्षा व आहार व्यवहार में स्वामी जी क्या चाहते थे

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बिरौल/दरभंगा- हमारी शिक्षा व आहार व्यवहार में स्वामी जी क्या चाहते थे

न्यूज़ डेस्क । डीबीएन न्यूज़
बिरौल,दरभंगा
12 january 19

★स्वामी जी चाहते थे हमारी शिक्षा और आहार-व्यवहार में भारतीयता हो★

बिरौल – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जनता कोशी महाविद्यालय इकाई द्वारा महाविद्यालय के गांधी सभागार में स्वामी विवेकानंद के 156 वीं जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग सेवा प्रमुख रविंद्र सिंह एवं प्रोफेसर डॉ एसएस झा ने संयुक्त रूप से स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर किए । संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आरएसएस नेता रविंद्र सिंह ने कहा कि व्हेन सॉन्ग क्यों भारत आने के लिए लालायित हुए ? क्योंकि उस समय भारत के विश्वविद्यालयों नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला आदि की ख्याति संसार में फैली हुई थी। ह्वेनसांग जब भारत आए इन विश्वविद्यालयों के द्वारपालों ने उनका साक्षात्कार लिया। भारत विद्वानों और पराक्रमियों धरती है। श्री सिंह ने कहा कि जो भारत माता की जय नहीं कहता उसे इस देश में रहने का अधिकार नहीं है। श्री सिंह ने कहा कि स्वामी जी चाहते थे हमारी शिक्षा और आहार-व्यवहार में भारतीयता हो। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद स्वामी जी के ही विचारों पर आधारित ज्ञान , शील , एकता के उपासकों का छात्र संगठन है। शिक्षण संस्थानों के माहौल की सुव्यवस्था विद्यार्थी परिषद के छात्रों का प्रथम लक्ष्य होता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यदि मजबूत है तो कैंपस में हमारी बहनें भी सुरक्षित हैं। श्री सिंह ने कहा कि जिस देश में गंगा जैसी पवित्र नदी बहती है, वहां गंदे विचार कैसे जन्म लेते हैं। उन गंदे विचारों को दूर करने से ही भारत माता को सर्वोच्च स्थान दिया जा सकता है । जो स्वामी विवेकानंद का स्वप्न था । हम युवाओं को स्वामी जी के विचारों को जानने-समझने की आवश्यकता है । युवाओं को अपने बीच से विभेद कारी विचारों जातिवाद- संप्रदायवाद को दूर कर राष्ट्रवाद को मजबूत करने का कार्य करना चाहिए। संगोष्ठी का संचालन करते हुए भाजपा मंडल अध्यक्ष माधव कुमार चौधरी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद शिक्षा को मनी मेकिंग नहीं मैन मेकिंग बनाना चाहते थे । डॉक्टर एसएस ने कहा कि स्वामी विवेकानंद सृजन को प्राथमिकता देते थे। युवाओं को सृजनात्मकता से परिपूर्ण प्रयास करना चाहिए। जिला पार्षद मनोज साहनी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने दुनिया में यह सिद्ध करने का काम किया कि हिंदू धर्म ही संसार के सभी पंथों का मूल है। टोका के निदेशक डीके झा संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान और भविष्य की कुशलता की चिंता करे वही गुरु है। स्वामी विवेकानंद ने अपने अल्प-आयु में ही युवाओं के लिए गुरु रूप में संदेश छोड़ गए हैं । जिन्हें अनुसरण करने की जरूरत है। डी के झा ने रविन्द्र सिंह और डॉ. एस एस झा को स्वामी विवेकानंद का विश्वधर्म और विवेकानंद की क्रांति कारी शिक्षाएँ पुस्तक भेंट किए। संगोष्ठी को प्रदीप प्रधान, किशन कुमार झा, पप्पू सहनी, ई. इंद्रजीत कुमार, डॉ भवेश कुमार, डॉ अनुपम सिंह, डॉ मनीष कुमार, भाजयुमो मंडल अध्यक्ष घनश्याम राय , अभिलाष कुमार चौधरी , प्रो. राजकुमार प्रसाद। पूर्व कोषाध्यक्ष सोहन कुमार अध्यक्ष नीरज चौधरी मिश्री लाल सुजीत मनीष गोपाल सत्यदेव ऋषभ गौरी शंकर काजल विकास रूपक अभिरंजन पप्पू सहित कई छात्रों ने संबोधित किए।

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