April 30, 2024

दरभंगा – छात्र संघ पदाधिकारियों को प्रधानाचार्य डॉ० श्याम चंद्रगुप्त ने पद और गोपनीयता की दिलाई शपथ

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दरभंगा – छात्र संघ पदाधिकारियों को प्रधानाचार्य डॉ० श्याम चंद्रगुप्त ने पद और गोपनीयता की दिलाई शपथ

डीबीएन न्यूज़ दरभंगा।बिहार

20-12-2018 को मारवाड़ी महाविद्यालय के नवनिर्वाचित छात्र संघ पदाधिकारियों को प्रधानाचार्य डॉ० श्याम चंद्रगुप्त ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।साथ ही उन्होंने नवनिर्वाचित पदाधिकारी एवं उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि सभी अपने अपने कार्यों को अनुशासन में रहकर निर्वाहन करने का संकल्प लें साथ ही उन्होंने अनुशासन के बारे में कहा कि अनुशासन क्या है? अनुशासन को नियमों और विनियमों के एक सेट के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका हर एक को पालन करना चाहिए। हमारे जीवन में अनुशासन बेहद जरूरी है क्योंकि समाज के संतुलन को बनाए रखने के लिए हमें कुछ खास तरह की आचार संहिता में रहना पड़ता हैं ताकि हम अपने आप को एक अच्छे इंसान के रूप में विकसित कर सकें। अनुशासन हमें घर पर और हमारे स्कूल में सिखाया जाता है। स्कूल में हम अपने संबंधित विषयों को कवर करने और उचित तरीके से व्यवहार करने के लिए एक समय सारणी बनाते हैं।यह कहने की ज़रूरत नहीं कि जीवन के हर दौर में अनुशासन आवश्यक है और यह एक सभ्य समाज की नींव है। यह न केवल हमें एक जिम्मेदार इंसान बनने में मदद करता है बल्कि हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करता है। इसलिए यदि आप फिर से जीवन में अनुशासन का अभ्यास करें तो आप खुद को अव्यवस्थित नहीं पाएंगे। आप अपनी पढ़ाई का प्रबंधन और आनंद एक ही समय में ले सकेंगे।इस समय आप एक आज़ाद पंछी की तरह हैं तो कॉलेज भी अपने छात्रों से यह अपेक्षा करता है कि वे एक उच्च स्तर के अनुशासन को सुनिश्चित करें और अपने अध्ययनों के प्रति वफ़ादार रहें। कृपया याद रखें कि अनुशासन आपको अपने कॉलेज के अध्ययनों में बेहतर बनाने में मदद करेगा जैसे आप अपने स्कूल के दिनों के दौरान बेहतर थे। आप कहीं भी जाएँ या आप जो भी व्यवसाय चुने जैसे शिक्षक, डॉक्टर, वकील, खेल आदि अनुशासन हर जगह और जीवन के सभी क्षेत्रों में जरूरी है।
यह एक व्यक्ति की सबसे महत्वपूर्ण गुणवत्ता में से एक है। तो अपने कॉलेज जीवन को अनुशासित करें और अपनी अध्ययन पद्धति को सुदृढ़ करें जिससे आप अपने व्यस्त समय से वक़्त निकालकर एक छात्र के रूप में अपनी भूमिकाएं और जिम्मेदारियों को निभा सकें।
वहीं महाविद्यालय के वरीय शिक्षक डा० हीरा कांत झा ने इस अवसर पर कहा कि’नैतिक तरीके से काम करना ही अनुशासन है’। घर के बाद स्कूल हमारा दूसरा स्थान है जहां हम अनुशासन सीखते हैं। अनुशासन मूल रूप से हमारी आधार इच्छाओं का दमन है और अक्सर इसे आत्म संयम और नियंत्रण के समान माना जाता है। अनुशासित व्यक्ति किसी की इच्छाओं के बावजूद कार्रवाई का सर्वोत्तम कार्य निर्धारित करता है। ईमानदार व्यवहार अनुशासन का एक और रूप है। इसे तब वर्णित किया जा सकता है जब किसी के मूल्यों और उद्देश्यों को एक दूसरे के साथ गठबंधन किया जाता है।
किसी व्यक्ति के जीवन को सकारत्मक तरीके से चलाने के लिए विद्यालय के अनुशासन की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह एक शिक्षक द्वारा की गई कार्यवाही का एक आवश्यक सेट है अगर छात्र के व्यवहार के चलते शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो गई है या छात्र स्कूल के अधिकारियों द्वारा बनाए गए किसी विशेष नियम को तोड़ता है। अनुशासन मूल रूप से बच्चों के व्यवहार की दिशा निर्देशित करता है, सीमा निर्धारित करता है और अंततः उन्हें स्वयं और दूसरों की देखभाल करने में मदद करता है।
अनुशासन के कई रूप होते हैं। स्कूली व्यवस्था कायदा-कानून और नियमों को बनाती है और यदि कोई छात्र इन नियमों को तोड़ता है तो उनको सजा भुगतनी पड़ती हैं। जो अंततः छात्र को अनुशासन सिखाती है। स्कूल के नियमों में अपेक्षित कपड़ों के मानकों, सामाजिक आचरण, टाइमकीपिंग और नैतिक कार्य को परिभाषित करना शामिल हो सकता है।
जहाँ छात्रों को अनुशासन में रहना आवश्यक है वहीं शिक्षकों को भी सावधान रहना चाहिए कि वे इतनी बुरी तरह से छात्रों को ना पीटें कि उन्हें चोट पहुंचे। इसे शारीरिक सजा भी कहा जाता है। कई जगहों से हमें यह सुनने को मिलता है कि कुछ शिक्षक अनुशासन के नाम पर हिंसा करते हैं जिससे छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचता हैं। इस वजह से अनुशासन पर से फोकस अब हटता जा रहा है और इन सभी घटनाओं के कारण अन्य विकल्प विकसित हो रहे हैं।
मुझे उम्मीद है कि हमारे इस सत्र के बाद आप वास्तव में अपने विचारों को समझने में सक्षम होंगे कि हम में से प्रत्येक के लिए अनुशासित और हमारे जीवन में केंद्रित होना कितना महत्वपूर्ण है।
शपथ लेने के बाद सभी छात्र संघ पदाधिकारियों ने अनुशासन में रहकर महाविद्यालय और छात्र छात्राओं के हित में काम करने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के वरीय शिक्षक डॉ०नरेंद्र कुमार यादव,डॉ०कन्हैया जी झा,डॉ० अलख निरंजन सिंह,डॉ० अरविंद कुमार झा,डॉ०अमोद नारायण सिंह,डाॅ०अमरेंद्र कुमार ने भी उपस्थित छात्रसंघ पदाधिकारी एवं छात्र-छात्राओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाया। वहीं इस अवसर परप्रशाखा पदाधिकारी श्री योगेश्वर,लेखा पदाधिकारी श्री विमल कुमार, आनंद शंकर एवं महाविद्यालय के वरीय एनएसएस स्वयंसेवक मुकेश कुमार झा सहित कई छात्र-छात्राओं उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ०अवधेश प्रसाद ने किया ।

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