यही तो है मिथिला की सांस्कृति कटे चाँद को भी यहां दिया जाता है अर्घ्य कारण जानकर आप भी कहेंगे..
आखिर कटे हुए चांद को अर्घ्य क्यों देते हैं मिथिलांचल के लोग
यही तो है मिथिला की सांस्कृति कटे चाँद को भी यहां दिया जाता है अर्घ्य कारण जानकर आप भी कहेंगे..
Darbhanga : हमारी संस्कृति में प्रकृति पूजा का बड़ा ही महत्व है। जल, अग्नि, सूर्य और चंद्रमा तक की पूजा किया जाता है। लोक पर्व के रूप में मनाया जाता है। बिहार के लोग डूबते और उगते सूर्य को छठ के मौके पर पूजते हैं। मिथिलांचल में चौरचन (चौठचंद्र) के मौके पर कटे हुए चांद की पूजा किया जाता हैं। मान्यता है कि जब पूरा देश कटे हुए चांद को देखने से परहेज करता है तो उस समय भादो की चौथ के दिन मिथिलांचल के लोग जल अर्पित कर पूजा करते हैं। मिथिलांचल के लोग छठ के समान अपने आंगन में कटे हुए चांद को निकलने का इंतजार करते हैं। जब चांद को देख लिया जाता है तो उसकी न सिर्फ पूजा होती है बल्कि विधि-विधान से अर्घ्य देते हैं।
Desk|Darbhanga|dbn news|19 september 23
Edit By M Raja