1962 जंग के उस हीरो को जो हॉकी स्टिक से करता था कमाल
1962 जंग के उस हीरो को जो हॉकी स्टिक से करता था कमाल
भारत के पास हर एक स्पोर्ट्स फील्ड में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी रहा है। क्रिकेट, फुटबॉल हॉकी… हर किसी फील्ड में इंडिया के पास जबरदस्त खिलाड़ी रहे हैं। लेकिन आज हम बात करने वाले हैं हरिराल कौशिक की, जिन्होंने उन्होंने 1962 युद्ध के बाद हॉकी में वापसी की।
जब भारत 1964 के टोक्यो ओलिंपिक में मेंस हॉकी का गोल्ड मेडल फिर से हासिल किया, तो इस जीत ने पूरे देश में उत्साह पैदा कर दिया। 1960 में इंडिया को 32 साल बाद ओलिंपिक इतिहास में अपनी पहली हार का सामना करना पड़ा था, पाकिस्तान से उन्हें 1-0 से हार मिली। रोम में वो दर्दनाक हार राष्ट्रीय शोक बन गई थी, जिससे टीम में सेल्फ-डाउट आ गया था।
उन अच्छे और बुरे दिनों के हॉकी हीरो के बीच एक वॉर हीरो भी थे, हरिपाल कौशिक। दो साल पहले ही 1962 के चीन-भारत युद्ध में हरिपाल के साहस और नेतृत्व ने उन्हें वीर चक्र दिलाया था। लेकिन युद्ध ने उनकी आत्मा को डरा दिया था। उन्होंने खेल लगभग छोड़ ही दिया था।
हरिपाल की वापसी भारतीय खेलों की सबसे दिल को छू लेने वाली कहानी है।
सैनिक-खिलाड़ी हरिपाल कौशिक के जीवन के पुनर्निर्माण का एक चेप्टर भी है। उन्होंने कहा, ‘यह दुखद है कि हरिपाल के वापसी की कहानी को कभी भी वह स्थान और प्रमुखता नहीं मिली, जिसके वह हकदार थे।