अचानक से लालू यादव की सक्रियता विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़ा रहा है।
अचानक से लालू यादव की सक्रियता विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़ा रहा है।
बिहार की राजनीति के एवरग्रीन सितारा लालू प्रसाद यादव इन दिनों चर्चा में हैं। चर्चा उनकी सक्रियता को लेकर है। लालू यादव नवरात्रि में अचानक डाक बंगला चौराहे के पंडाल तक पहुंच गए। उसके अलावा लगातार सियासी बैठकों में भाग ले रहे हैं। अपने संसदीय क्षेत्र पहुंच जा रहे हैं। लोगों से लगातार मिल रहे हैं। तेजस्वी यादव को सियासी सलाह दे रहे हैं। जानकारों की मानें, तो लालू यादव की सक्रियता पार्टी के लिए ‘टॉनिक’ का काम कर रही है।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इन दिनों बिहार में सक्रिय हुए हैं। नवरात्रि के दौरान पटना में लालू यादव सातवीं से लेकर विजयादशमी तक कहीं ना कहीं सक्रिय दिखे तो विजयादशमी के दूसरे दिन वे अपने पुराने संसदीय क्षेत्र छपरा पहुंच गए। दरअसल, चारा घोटाला में जेल, बीमारी से परेशानी और लंबा वक्त बिहार से बाहर गुजारने के बाद लालू इन दिनों अपना अधिकांश समय पटना में गुजार रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि कार्यकर्ताओं से मिलने की हो या अन्य पार्टी के नेताओं से मिलने का मौका, सभी को लेकर वे सक्रिय नजर आ रहे हैं।
लालू की सक्रियता के बाद राजद के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह देखा जा रहा है। लालू जब छपरा राजद के निर्माणाधीन कार्यालय को देखने पहुंचे तो बड़ी संख्या में उन्हें देखने और मुलाकात करने वालों की भीड़ इकट्ठी हो गई। उल्लेखनीय है कि लालू राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान लालू जमानत पर पटना पहुंचे तो नीतीश कुमार को अपने महागठबंधन में शामिल करा लिया। नीतीश के आने से महागठबंधन इतना मजबूत हुआ कि बिहार में एनडीए की सत्ता पलट गई और महागठबंधन की सरकार बनी।
यह अलग बात रही कि वह सरकार लंबे समय तक नहीं चली। अगले साल जहां लोकसभा चुनाव संभावित हैं। वहीं, 2025 में विधानसभा चुनाव होना है। लालू प्रसाद गुरुवार को आठ सालों के बाद कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पहुंचे और एक समारोह में भाग लिया। इससे पूर्व विजयादशमी के दिन गांधी मैदान में आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में लालू यादव ने सीएम नीतीश और राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के साथ मंच साझा किया। इसके दूसरे दिन वे छपरा पार्टी कार्यालय का निर्माणाधीन भवन देखने पहुंच गए। लालू करीब सात साल बाद पहुंचे थे। उनको देखने के लिए काफी संख्या में लोग आए। थोड़ी देर के लिए अफरा-तफरी की स्थिति बन गई।
राजद के एक नेता कहते हैं कि लालू प्रदेश के ही नहीं बल्कि देश की राजनीति की नब्ज पहचानते हैं। उन्होंने भी माना कि उनकी सक्रियता से कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि लालू की पहचान गरीबों के मसीहा के तौर पर होती है, जिससे लोग उनसे प्यार करते हैं। सियासी जानकारों के नजरिए से देखें, तो उनका मानना है कि लालू यादव की सक्रियता तब तक बनी रहेगी, जब तक वे तेजस्वी को बिहार की गद्दी पर नहीं आसीन करा देते। जानकार कहते हैं कि आज भी लालू यादव के सियासी ताकत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि गांधी परिवार के सबसे ज्यादा करीबी लालू यादव हैं। उन्होंने मंच से स्वीकार किया कि उन्होंने सोनिया को फोन कर अखिलेश प्रसाद सिंह को सांसद बनवाया। लालू यादव की कोई भी बात सोनिया गांधी इग्नोर नहीं कर सकतीं। वहीं बिहार में आज भी लालू को चाहने वालों की कमी नहीं है। अब ऐसे में एक बार फिर से लालू यादव की बढ़ती सक्रियता विपक्षी दलों पर मुश्किल न खड़ा कर दे।
dbn news|Patna|26 October 23 | एम राजा