May 3, 2024

बिहार में BJP पर आरक्षण से ‘वार’ की तैयारी में नीतीश सरकार।

0

बिहार में BJP पर आरक्षण से ‘वार’ की तैयारी में नीतीश सरकार।

बिहार में जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण सीमा बढ़ाने की तैयारी में महागठबंधन सरकार जुट गई है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार जाति सर्वेक्षण के विस्तृत ब्योरे पेश करेगी। इसी क्रम में सरकार आरक्षण सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास कर सकती है।

बिहार में जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट आने के बाद इसका चुनावी लाभ लेने की तैयारी में महागठबंधन जुट गया है। अभी तक यही माना जाता रहा है कि जाति सर्वेक्षण सिर्फ आई वाश है, लेकिन इसे चुनावी हथियार के रूप में महागठबंधन इस्तेमाल करना चाहता है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य सरकार जाति सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट पेश करेगी, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के आंकड़े भी होंगे और उन्हें आगे ले जाने के लिए सरकार उल्लेखनीय काम करने की तैयारी में है।

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण को इसलिए आवश्यक बताया था, कि इससे सभी जातियों के ताजा आंकड़े तो हासिल होंगे ही, उनकी आर्थिक-सामाजिक उन्नति के लिए नीतियां बनाने में भी सहूलियत होगी। जब से सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आई है, तभी से एक सवाल उठ रहा है कि क्या इस आधार पर नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की सीमा भी बढ़ाई जाएगी? अब इस सवाल का जवाब क्या होगा, इसके संकेत भी मिलने लगे हैं। जेडीयू ने 26 नवंबर को पटना में ‘भीम संसद’ का आयोजन किया है। इसका थीम ही है- जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। यानी जेडीयू ने नीतिगत तौर पर तय कर लिया है कि जाति सर्वेक्षण में सामने आए आंकड़ों के हिसाब से आरक्षण की सीमा तय की जाएगी।

आरक्षण की सीमा सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ही 50 फीसद तय कर दी है। आबादी के हिसाब से आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाती है तो सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का क्लीयरेंस लेना पड़ेगा। हालांकि जेडीयू के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि विधानसभा से इस आशय का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। केंद्र सरकार अगर आरक्षण सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को मान लेती है तो यह महागठबंधन सरकार की जीत होगी। इससे उन राज्यों का रास्ता भी खुल जाएगा, जिन्होंने अपने यहां बिहार की तर्ज पर जाति सर्वेक्षण कराने की घोषणा कर रखी है। चुनाव घोषणा के ठीक पहले राजस्थान सरकार ने जाति सर्वेक्षण की घोषणा की है। ओड़िशा की नवीन पटनायक सरकार जाति सर्वेक्षण पर काम कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कहा है कि केंद्र में सरकार बनने के दो घंटे के भीतर वे जाति जनगणना का रास्ता साफ कर देंगे।

जाहिर है कि आरक्षण सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार शायद मंजूर करें, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 में ही स्पष्ट मत दिया था कि आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करना उचित नहीं। झारखंड सरकार का आरक्षण सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव पहले ही खारिज हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि जाति पर हंगामा खड़ा करने के बजाय गरीबी उन्मूलन पर ध्यान देना चाहिए, जिसके लिए वे लगातार प्रयासरत हैं। सप्ताह भर पहले ही पीएम ने यह भी कहा था जाति जनगणना की बात समाज में विभेद पैदा करने की कोशिश है। दूसरी ओर विपक्षी दलों को लगता है कि यह चुनाव जीतने और बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने का अमोघ अस्त्र साबित हो सकता है।

विपक्ष मानता है कि उसके दोनों हाथ में लड्डू हैं। अगर केंद्र सरकार आरक्षण सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज करती है तो लोगों को यह बताया-समझाया जा सकता है कि हमने तो अपना काम किया, अड़ंगा केंद्र की बीजेपी सरकार ने डाल दिया है। अगर केंद्र ने इसे हरी झंडी दिखा भी दी तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला अड़ंगा बनेगा। दोनों ही स्थितियों में बिहार सरकार को फायदा है। खारिज होने की स्थिति में विपक्ष इसका ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ेगा और मंजूरी देने पर अपनी जीत मानेगा।

विपक्ष जनता को समझाएगा कि उसके प्रयासों के कारण ही आरक्षण मिला। इस आधार पर पिछड़ों को गोलबंद करने का सरकार प्रयास करेगी। सर्वेक्षण में समान आए आर्थिक स्थिति को देखते हुए पिछड़ी जातियों में कुछ को जनरल कैटगरी में शामिल किया जा सकता है, तो कुछ को पिछड़े वर्ग में जगह भी दी जा सकती है। संभव है कि 6 नवंबर से शुरू हो रहे बिहार विधानसभा के सत्र में भी इस तरह का प्रस्ताव लाया जाए। पर, इतना तो तय है कि जाति सर्वेक्षण के हथियार से विपक्ष बीजेपी को मात देने के तैयारी कर चुका है।

dbn news|Bihar|Patna|एम राजा |31/10/23

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *