April 27, 2024

पलटीमार सियासत’ में चैंपियन हैं नीतीश, पलटी मार बयान में बनाया रिकॉर्ड!

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पलटीमार सियासत’ में चैंपियन हैं नीतीश, पलटी मार बयान में बनाया रिकॉर्ड!

नीतीश कुमार कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं। वे न सिर्फ खेमा बदलते रहे हैं, बल्कि अपने पूर्व के बयानों से पलटी मारने में भी उन्हें महारथ हासिल है।

जनवरी में नीतीश ने भाजपा के साथ सरकार बनाई तो कह दिया वे अब एनडीए छोड़ कहीं नहीं जाएंगे। महागठबंधन के साथ जाने पर भी उन्होंने इसी अंदाज में बयान दिया था कि मर जाएंगे, पर बीजेपी के साथ अब नहीं जाएंगे।
नीतीश कुमार अब भाजपा के साथ हैं। भाजपा के सहयोग से बिहार में एनडीए की सरकार बनी हुई है। नीतीश कुमार एनडीए सरकार के सीएम हैं। पहले भी नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहे हैं। तब बीजेपी अलग से कोई स्टैंड नहीं लेती थी। सब कुछ नीतीश के नेतृत्व में साझीदारी में ही होता था। लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का, बिहार में नेतृत्व नीतीश का ही होता था। दो बार आरजेडी के साथ नीतीश रहे और दोनों बार अलग-अलग कारण बता कर भाजपा के साथ वे लौट भी आए। जब भाजपा के साथ रहे तो आरजेडी के बारे में उनके बयान बदल जाते थे। भाजपा का साथ छोड़ते ही वे हमलावर हो जाते थे।

नीतीश कुमार के इधर-उधर होते रहने से उनकी पार्टी जेडीयू की साख को जबरदस्त धक्का लगा। जेडीयू विधानसभा में 43 सीटों पर सिमट गई। इसके बावजूद बीजेपी ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए अपना वादा पूरा किया। नीतीश को सीएम बना दिया। फिर भी वे भाजपा के साथ टिक नहीं पाए। साल 2022 में उन्होंने आरजेडी से हाथ मिला लिया। उनकी विश्वसनीयता अब संदिग्ध हो गई है। हालांकि नीतीश कुमार अब खुल कर कहने लगे हैं कि एक-दो बार इधर-उधर हो गए थे। लेकिन अब कहीं नहीं जाएंगे। यहीं रहेंगे। यानी एनडीए के साथ ही रहेंगे। उनके इस दिलासे के बावजूद भाजपा उन पर भरोसा नहीं कर रही। शायद यही वजह है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और डेप्युटी सीएम सम्राट चौधरी को सफाई देनी पड़ी कि एनडीए में भाजपा भले जेडीयू के साथ है, लेकिन अपने दम पर बिहार में सरकार बनाने के संकल्प से वह पीछे नहीं हटी है। मतलब साफ है कि एनडीए के ये दोनों दल आपस में मिल गए हैं, पर इनके नेताओं के दिल नहीं मिल रहे।

वर्ष 2022 में नीतीश कुमार जब आरजेडी के साथ हो लिए, तब उन्होंने भाजपा को लेकर कड़ा बयान दिया था। वर्ष 2023 के जनवरी में नीतीश के फिर पाला बदल की खबरें आ रही थीं। तब वे आरजेडी के साथ महागठबंधन के नेता थे। सियासी हलचल के बीच नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा था- ‘मैं अब मरते दम तक बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा। मुझे मौत स्वीकार है, लेकिन बीजेपी के साथ किसी कीमत पर नहीं जाऊंगा।’ आरजेडी ने नीतीश के इस बयान पर कितना भरोसा किया, यह पता लगाना आसान नहीं है। पर, इतना तो तय है कि नीतीश कुमार जिन शर्तों पर आरजेडी के साथ गए थे और जब उसे पूरा करने का वक्त आया तो उन्होंने पाला बदल लिया। मरते दम भाजपा के साथ न जाने की कसम उन्होंने तोड़ दी। वे फिर एनडीए का हिस्सा बन गए। नीतीश कुमार ने 2022 में महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद नालंदा की एक सभा में ऐलान कर दिया था कि महागठबंधन अटूट है और 2025 का विधानसभा चुनाव आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि अब सबको पता है कि नीतीश ने आरजेडी के से हाथ इसलिए मिलाया था कि कुछ महीनों के बाद वे रष्ट्रीय राजनीति में जाएंगे और बिहार की कमान तेजस्वी यादव को सौंप देंगे इसी बात से खफा होकर जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी छोड़ दी थी। नीतीश ने भी उन्हें मनाने की कोशिश नहीं की। बाद में सच सामने आया, जब आरजेडी की ओर से सीएम की कुर्सी खाली करने का दबाव नीतीश कुमार पर बढ़ने लगा। भाजपा के साथ उनके पुराने संपर्क-संबंध काम आए। जिस भाजपा ने उन्हें दूध की मक्खी मानते हुए उनके लिए दरवाजे बंद कर दिए थे, उसने फिर से नीतीश का एनडीए में स्वागत किया।दिल्ली के अपने हालिया दौरे में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि जेडीयू और बीजेपी हमेशा से साथ थे। बीच में इधर-उधर हो गए थे, लेकिन अब कहीं नहीं जाएंगे। वैसे नीतीश कुमार के इस बयान पर bjp का कोई खास रुख नही है।कियूंकि bjp भी समझ रही है ये तो नीतीशे कुमार है।

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