लालू की पार्टी ने लिया महिला आरक्षण विधेयक पर अलग स्टैंड
लालू की पार्टी ने लिया महिला आरक्षण विधेयक पर अलग स्टैंड
Patna News : बिहार में महिला आरक्षण बिल पर लालू की पार्टी का स्टैंड धीरे-धीरे क्लियर हो रहा है। राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में अपनी बात रखते हुए ये बताया कि उनकी पार्टी पहले से महिलाओं को आगे बढ़ाती रही है। उन्होंने भगवतिया देवी का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी पार्टी के सुप्रीमो ने उन्हें सदन तक पहुंचाया।
आरजेडी ने राज्यसभा में बृहस्पतिवार को महिला आरक्षण विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के प्रावधान वाले ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईस वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर उच्च सदन में चर्चा में भाग लेते हुए राजद के मनोज झा ने यह मांग की। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में कई क्षण ऐसे आते हैं जब ‘हां’ और ‘ना’ कहना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह विषय देश के इतिहास से जुड़ा हुआ है।
मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में संसद के केंद्रीय कक्ष में कहा था कि यदि कैनवास बड़ा होगा तो आकृति बड़ी होगी। राजद सदस्य ने दावा किया कि यहां (विधेयक में) कैनवास बड़ा है, किंतु आकृति छोटी है, जिसे इतिहास स्मरण रखेगा। झा ने सरकार द्वारा इस विधेयक को कानून बनने के बाद ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि समझ में नहीं आता कि यह कोई कानून है या किसी धार्मिक ग्रंथ का शीर्षक। उन्होंने कहा कि वह बचपन से सुनते आ रहे हैं कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते’ किंतु देश में महिलाओं के साथ अत्याचार, घरेलू हिंसा और परिवार में उनके साथ होने वाले दुष्कर्म के मामले भी बड़ी संख्या में देखने को मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान अधिकार की बात करता है, किंतु अधिकार के साथ दया करने की बात नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि परिसीमन आयोग 2008 के अनुसार देश के (लोकसभा में) 412 सामान्य सीटें, 84 अनुसूचित जाति, 47 अनुसूचित जनजाति की सीटें हैं। उन्होंने कहा कि अब हम इस विधेयक के माध्यम से क्या कर रहे हैं, 84 और 47 में से एक तिहाई (आरक्षित) कर रहे हैं। क्या यह अन्याय नहीं है? झा ने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाएं अन्य महिलाओं की तुलना में कहीं अधिक वंचित और कमजोर होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पत्थर तोड़ने वाली एक महिला भगवती देवी को गया से संसद पहुंचाया। उन्होंने सवाल किया कि क्या उसके बाद भगवती देवी या फूलन देवी जैसी महिलाएं (संसद में) आ पायीं?
उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाएं वापस इसलिए नहीं आ पाए, क्योंकि हमारी व्यवस्था संवेदन शून्य हैं। राजद सदस्य ने मांग की कि इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजकर इसमें एससी, एसटी और ओबीसी को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि हम आज इसे नहीं करेंगे तो हम ऐतिहासिक गुनाहगार होंगे। बाहर लोग देख रहे हैं और वे हम सबसे पूछेंगे कि आपने यह क्या किया? उन्होंने कहा कि आप ओबीसी की बात करते हैं, किंतु यह आपकी चिंता में शामिल होने चाहिए। हम बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को माला भी पहने और उनकी बातों को आत्मसात न करें। इस मामले में यह विरोधाभास नहीं होना चाहिए। झा ने कहा कि संविधान बनने से बहुत पूर्व 1931 में बेगम शाहनवाज और सरोजिनी नायडू ने समान प्रतिनिधित्व की बात की थी। राजद सदस्य ने प्रश्न किया कि हम क्यों 33 के साथ क्या रिश्ता है हमारा? यह 50 क्यों नहीं हो सकता, 55 क्यों नहीं हो सकता। आपका पूरा का पूरा वर्ग चरित्र बदल जाएगा।
Desk|Patna|dbn news|21 september 23